भारत के सख्त कदम: सिंधु जल संधि निलंबित, पाकिस्तान में हड़कंप

आज की एक प्रमुख खबर यह है कि भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान को जाने वाले सिंधु नदी के जल प्रवाह को रोक दिया है। यह निर्णय हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान-आधारित आतंकवादियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी।

भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया, पाकिस्तान में हड़कंप

नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2025 – भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान को जाने वाले सिंधु नदी के जल प्रवाह को रोकने का फैसला किया है। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। भारत के इस कदम से पाकिस्तान में राजनीतिक और कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है

भारत का सख्त रुख

भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस फैसले के तहत अब भारत बिना पाकिस्तान की सहमति के सिंधु नदी पर बांध बना सकता है और जल संसाधनों का उपयोग अपनी जरूरतों के अनुसार कर सकता है। इस संधि को निलंबित करने का निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और जल संसाधनों की रणनीतिक उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने इस फैसले को ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

विशेषज्ञों की राय

जल संसाधन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह निर्णय पाकिस्तान की जल आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। सिंधु नदी पाकिस्तान के कृषि और पेयजल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यदि भारत इस जल प्रवाह को नियंत्रित करता है, तो पाकिस्तान को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

आगे की रणनीति

भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए नए बांधों और जल परियोजनाओं पर काम करेगी। इस बीच, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की अपील की है।

भारत के इस निर्णय से दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। अब यह देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

यह खबर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और जल संसाधन प्रबंधन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। आगे की घटनाओं पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।